मर्द मराठा गीत - पानीपत (2019)

By एमी एस. ब्रैंटली

मर्द मराठा गीत पानीपत से: The बॉलीवुड गाना द्वारा गाया जाता है अजय-अतुल, कुणाल गांजावाला, सुदेश भोसले, स्वप्निल बंदोदकर, पद्मनाभ गायकवाड़ और प्रियंका बर्वे. अजय-अतुल ने संगीत दिया है जबकि जावेद अख्तर ने मर्द मराठा गीत हिंदी में लिखा है। यह गाना आशुतोष गोवारिकर निर्देशित हिंदी का है

फीचर फिल्म पानीपत में अर्जुन कपूर, संजय दत्त और कृति सैनन ने अभिनय किया है।

गायक: अजय-अतुली, कुणाल गांजावाला, सुदेश भोसले

गीत: जावेद अख्तर

रचना: अजय-अतुली

मूवी/एल्बम: पानीपत

लंबाई: 5:23

रिलीज: 2019

लेबल: ज़ी म्यूजिक कंपनी

मर्द मराठा के बोल का स्क्रीनशॉट

मर्द मराठा Lyrics - पानीपत

अरे, बोले धरती जयकारा
गगन है सारा गूंज रे
जग में लहर न्यारा
ध्वज है हमारा ऊंचा रे

हम वो योद्धा वो निदार:
हम जो भी दिशा में जाएं
सारे पथ चरण छुवे और
परबत शीश नवाय
रास्ते से हट जाए नदिया हो के हवाएं

हम हैं जियाले जीते को हम रन में उतरते हैं
हम सूरज हैं चींटी हम ही रातों का करते हैं
युग युग की जंजीरों को हमने ही काटा रे
बोल उठा ये जग सारा जय मर्द मराठा रे

जो रक्त है तन में दिखता है
वो हम से है ये कहते
सम्मान के बदले जान भी दे
तो नहीं है घाट रे

युग युग की जंजीरों को हमने ही काटा रे
बोल उठा ये जग सारा जय मर्द मराठा रे
युग युग की जंजीरों को हमने ही काटा रे
बोल उठा ये जग सारा जय मर्द मराठा रे

वीरता हमने बोयी और ये फल पाया:
दूर तक अब है फेली अपनी ही छाया

हे ...
जीवन जो रणभूमि में करता है तांडव
आज उसी ने है विजय का नगड़ा बजाय
अपनी है जो गाथा, अब है समय सुनाता
सब को है ये बताता कैसे सुख हमने बात रे

युग युग की जंजीरों को हमने ही काटा रे
बोल उठा ये जग सारा जय मर्द मराठा रे
युग युग की जंजीरों को हमने ही काटा रे
बोल उठा ये जग सारा जय मर्द मराठा रे

सच के सिपाही अलबेले रही
क्या जानते हो तुम
जब तुम नहीं थे हम कब कहीं थे
हम भी जैसे घुम
तुम ध्यान में थे तुम प्राण में थे
जैसे जनम जन्म
जब तीर तुमपे बरसे तोह
जैसे घायल हुए हम

ओह.. देखो तो मुझसे कह के
मैं जान दे दूं तुमपे
क्या तुम ये नहीं जानते
दुविधा के आगे जब नारी जाएंगे
हिम्मत से काम ले
चूड़ी उतर कंगन उतर तलवार थाम ले

मैंने ली आज शपथ है
वीरों का पथ है मेरा रे
लक्ष्य अपना जो बना लूं
वही डालूं डेरा रे

हम वो योद्धा वो निदार:
हम जो भी दिशा में जाएं
सारे पथ चरण छुवे और
परबत शीश नवाय
रास्ते से हट जाए नदिया हो के हवाएं

हम हैं जियाले जीते को हम रन में उतरते हैं
हम सूरज हैं चींटी हम ही रातों का करते हैं
युग युग की जंजीरों को हमने ही काटा रे
बोल उठा ये जग सारा जय मर्द मराठा रे

जो रक्त है तन में दिखता है
वो हम से है ये कहते
सम्मान के बदले जान भी दे
तो नहीं है घाट रे

युग युग की जंजीरों को हमने ही काटा रे
बोल उठा ये जग सारा जय मर्द मराठा रे
युग युग की जंजीरों को हमने ही काटा रे
बोल उठा ये जग सारा जय मर्द मराठा रे

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