फिरे फकीरा Lyrics - अरिजीत सिंह | पगलाईट

By औरिया ई. जोन्स

फिरे फकीरा Lyrics Pagglait से नवीनतम है हिंदी गीत अरिजीत सिंह, राजा कुमारी, अमृता सिंह ने गाया है। फ़िरे फ़कीरा के गीत नीलेश मिश्रा द्वारा लिखे गए हैं, जबकि संगीत अरिजीत सिंह द्वारा रचित है और वीडियो उमेश बिस्ट द्वारा निर्देशित है।

गायक: अरिजीत सिंह, राजा कुमारी, अमृता सिंह

गीत: नीलेश मिश्रा

रचना:  अरिजीत सिंह

मूवी/एल्बम: पैग्लिट

लंबाई: 2:30

रिलीज: 2021

लेबल: ओरियन संगीत अरिजीत सिंह द्वारा

दिल उड़ जा रे Lyrics . का स्क्रीनशॉट

फ़िरे फ़क़ीरा गीत - पगलैट

मन है कलंदर मन है जोगी
मन जो चाहे मन की होगी
फिर क्यों मन ने झूठ को पूजा
दुःख तकलीफ़ीं सारी भोगी

कभी सदियाँ कभी लम्हा
कभी मुश्किल कभी आसां
कभी रूठी कभी झूठी
कभी पूरी कभी टूटी

कभी जुगनू कभी तारा
कभी कम काम कभी सारा
है बोले जिंदगी मीठा
हो हो पर इसका स्वाद है खरा

रत्ती रत्ती माशा माशा
तिनका तिनका टूटी आशा
भोले हैं हम समझ ना पाए
दुनिया का ये खेल तमाशा

रत्ती रत्ती माशा माशा
तिनका तिनका टूटी आशा
भोले हैं हम समझ ना पाए
दुनिया का ये खेल तमाशा

पागल पागल पागल पागल
फ़िरे फ़क़ीरा
रेत में देखो ढूंढे हीरा
पागल पागल पागल पागल पागल
फ़िरे फ़क़ीरा

जोगी कोई मंतर जंतर
जोगी कोई मंतर जंतर
फूँके तो कम होवे पीरा
पागल पागल पागल पागल पागल
आग फकीरा

आँसू चाँदी दर्द है सोना
धूप का टुकड़ा याद का कोना
पागल पागल पागल पागल
आग फकीरा
मन कठपुतली मन है खिलौना
लिए फिरता रिश्तों का बिछौना

आगो में ये झलक रहा है मन
हां गडरिया हांक रहा है
अमृत ​​बेचा करता था ये
जहर की पुड़ियां फांख रहा है

फेंक मुखौता चेहरा देखा
भेस है बदला धीरा धीरा
टूटे लफ़्ज़ों को जोड़ा है
कविता कर लेगा कबीरा

फ़िरे फ़क़ीरा
पागल फिरे फ़क़ीरा
रेत में देखो ढूंढे हीरा
जोगी कोई मंतर जंतर
फूँके तो कम होवे पीरा
पागल

मैं रग्रीज कुम्हार भी मैं हूं
नफ़रत मैं हूँ प्यार भी मैं हूँ
मुझमे सारा सत्य बसा है
कन्न हूं मैं संसार भी हूं
पुनर्जन्म की रस्म करेंगे
रूह को अपनी भस्म करेंगे

मरघट में भी फूल खिलेंगे
ऐसा कोई तिलस्म करेंगे

रत्ती रत्ती माशा माशा
तिनका तिनका टूटी आशा
भोले हैं हम समझ ना पाए
दुनिया का ये खेल तमाशा

रत्ती रत्ती माशा माशा
तिनका तिनका टूटी आशा
भोले हैं हम समझ ना पाए
दुनिया का ये खेल तमाशा

पागल पागल पागल पागल
फ़िरे फ़क़ीरा
रेत में देखो ढूंढे हीरा
पागल पागल पागल पागल पागल
फ़िरे फ़क़ीरा

जोगी कोई मंतर जंतर
जोगी कोई मंतर जंतर
फूँके तो कम होवे पीरा
पागल पागल पागल पागल पागल
फ़िरे फ़क़ीरा

आँसू चाँदी दर्द है सोना
धूप का टुकड़ा याद का कोना
पागल पागल पागल पागल
आग फकीरा
मन कठपुतली मन है खिलौना
लिए फिरता रिश्तों का बिछौना

खुद को तोड़ा खुद को बनाया
खुद को रंगा खुद को सजाया
खुद को सांचा फोड़ दिया है
खुद को फिर से जोड़ लिया है

फेंक मुखौता चेहरा देखा
भेस है बदला धीरा धीरा
टूटे लफ़्ज़ों को जोड़ा है
कविता कर लेगा कबीरा

फ़िरे फ़क़ीरा
पागल फिरे फ़क़ीरा
रेत में देखो ढूंढे हीरा
जोगी कोई मंतर जंतर
फूँके तो कम होवे पीरा
पागल, पागल..

हा-हा-हा..

पागल!

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