तेरा ज़िक्र Lyrics - अमानत अली | न्यू इंडीपॉप

By सिनफ़ोरोसो एस्कोबार

तेरा ज़िक्र गीत: पेश हिन्द गीत अमानत अली की आवाज में 'तेरा जिक्र'. गाने के बोल राजीव राणा ने लिखे हैं और संगीत अहसान परवेज मेहदी ने दिया है। इसे 2018 में टाइम्स म्यूज़िक की ओर से रिलीज़ किया गया था।

गायक: अमानत अली

गीत: राजीव राणा

रचना: अहसान परवेज़ मेहदी

मूवी/एल्बम: एक

लंबाई: 4:13

विमोचन: 2019

लेबल: टाइम्स संगीत

तेरा ज़िक्र का स्क्रीनशॉट

तेरा ज़िक्र Lyrics - Amanat Ali

धड़कन का चलना
अब मुश्किल बड़ा है
कैसे चलेंगे ये रास्ता
अब गिला पड़ा है

आँखों का सारा पानी
अब दिल में खड़ा है
दिल में पानी का जमघट
आँखों का सूना पंगत
सब करते हैं वो..

तेरा ज़िक्र.. तेरा ज़िक्र..
तेरा ज़िक्र.. तेरा ज़िक्र..

क्यों आसमान ये रोता है ऐसा
तारो से ये उठती हूँ जैसे
चांद को जैसा रोग लगा है
किसने उसका चैन तगा है

मेरी तरह वो भी रातों को तड़पे
लगता है जैसे कि उसका भी घर पे
सब करते हैं..वो..

तेरा ज़िक्र.. तेरा ज़िक्र..
तेरा ज़िक्र.. तेरा ज़िक्र..

ज़िक्र ज़िक्र ज़िक्र

क्यों तू मुझसे रूठ गया है
दिल में सब कुछ टूट गया है
हर इक लम्हा सोज़ बना है
जीना जैसा भोज बना है

आजा तू लौट के यार अनोखे
तूने दिए थे जो मुझको धोखा
सब करते हैं

तेरा ज़िक्र.. तेरा ज़िक्र.
तेरा ज़िक्र.. तेरा ज़िक्र.

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