हे हे ये मजबूरी गीत - रोटी कपडा और मकान

By रिचर्ड आर सक्क्सटन

हे हे ये मजबूरी गीत बलिउड चलचित्र "रोटी कपडा और मकान" बाट, 'लता मंगेशकर' द्वारा गाएको। लक्ष्मीकान्त र प्यारेलालले संगीत दिएका छन् भने वर्मा मलिक आफैले लेखेका छन्। गीतको लेबल सारेगामा म्युजिक हो।

गायक: मंगेशकर गर्मी

गीत: वर्मा मलिक

रचना गरिएको: लक्ष्मीकान्त, प्यारेलाल

चलचित्र/एल्बम: रोटी कपडा और मकान

लम्बाइ: 3:43

रिलीज: 2022

लेबल: सारेगामा संगीत

हे हे ये मजबूरी गीतको स्क्रिनसट

हे हे ये मजबूरी गीत - रोटी कपडा और मकान

अरे हाये ये मजबुरी
ये मौसम और ये द्वारी
अरे हाये हाये मजबुरी
ये मौसम और ये द्वारी
मलाई पल पल है तडपाए
तेरी दो तक्या दी नौकरी मे
मेरा लाखों का सावन जाये

है हे ये मजबुरी

ये मौसम और ये द्वारी
मलाई पल पल है तडपाए
तेरी दो तक्या दी नौकरी मे
मेरा लाखों का सावन जाये
है हे ये मजबुरी
ये मौसम और ये द्वारी...
आ.. आ.. आ.. आ..

कति सावन बीट गए

कति सावन बीट गए
बैठी हुँ आस लगाए
जस सावन मे मिले सजनावा
वो सावन कब आये, कब आये..
मधुर मिलन का ये सावन
हातों से निकला जाये
तेरी दो तक्या दी नौकरी मे
मेरा लाखों का सावन जाये

है हे ये मजबुरी
ये मौसम और ये द्वारी...
मलाई पल पल है तडपाए
तेरी दो तक्या दी नौकरी मे
मेरा लाखों का सावन जाये
है हे ये मजबुरी
ये मौसम और ये द्वारी...

प्रेम का ऐसा बन्धन है..
प्रेम का ऐसा बन्धन हो
जो बन्द के फिर ना टुटे
अरे नौकरी का है क्या भरोसा
आज मिले कल छुटे, कल छुटे...
अम्बर पे है रचना स्वयंवर
फिर भी तिमी घबराए
तेरी दो तक्या दी नौकरी मे
मेरा लाखों का सावन जाये

डिंग डिंग, डिंग डिंग, डिंग डिंग
डिंग डिंग, डिंग डिंग, डिंग डिंग

मलाई पल पल है तडपाए
तेरी दो तक्या दी नौकरी मे
मेरा लाखों का सावन जाये
है हे ये मजबुरी
ये मौसम और ये द्वारी...

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