मुछी रे लिरिक्स - वीरप्पन - 2016

By हिबा बाहरी

मुच्छी रे गीत वीरप्पन से, यह बॉलीवुड गीत द्वारा गाया गया मोहन कानानो और संगीत जीत गांगुली द्वारा निर्देशित और जीत गांगुली द्वारा रचित और गीत मनोज मुंतशिर द्वारा लिखे गए हैं।

गायक: मोहन कानानो

गीत: मनोज मुंतशिर

रचना: जीत गांगुली

मूवी/एल्बम: वीरप्पन

लंबाई: 2:29

विमोचन: 2016

लेबल: टी-सीरीज़

मुच्छी रे लिरिक्स का स्क्रीनशॉट

मुच्छी रे गीत - वीरप्पन

चालत रहो,
बढ़ता रहो,
लड़त रहो,

चालत रहो,
बढ़ता रहो,
लड़त रहो,

मुच्छी रे,
मुच्छी रे,
मुची रे,

उतार से दखिन है अपना इलाका,
जंगल के राजा हैं किस्मत के आका,
आ जाए तकराए जिस्मे हो जिगर,
मुच्छी का होए रे बाल ना बांका,

चालत रहो,
बढ़ता रहो,
लड़त रहो,

चालत रहो,
बढ़ता रहो,
लड़त रहो,

चालत रहो,
बढ़ता रहो,
लड़त रहो,

हिम्मत न हारे सभी को हरायें,
डर को भी हम तो डराके भगाएं,
हिम्मत न हारे सभी को हरायें,
डर को भी हम तो डराके भगाएं,

बंदूक दुश्मनों की मांगे रे पानी,
मुच्छी से गोली चले जो धायें,

चालत रहो,
बढ़ता रहो,
लड़त रहो,

चालत रहो,
बढ़ता रहो,
लड़त रहो,

चालत रहो,
बढ़ता रहो,
लड़त रहो,

मुच्छी रे,
मुच्छी रे,
मुची रे,

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